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Wednesday, August 31



"दोस्ती" इंसान की ज़रुरत है

तुम मनो या ना मनो यह हकीकत है,
"दोस्ती" इंसान की ज़रुरत है,
किसी दिन आओ महफ़िल में ,
जान जाओगे ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है.
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ना करो हमसे इतनी दोस्ती

तेरी दोस्ती में एक नशा है,
तभी तो यह  सारी दुनिया हमसे खफा है,
ना करो हमसे इतनी दोस्ती,
कि दिल ही हमसे पूछे,  तेरी धड़कन कहाँ है ?????